किसी ने क्या खूब कहा है कि मां एक शब्द ही नहीं.... एक एहसास है, एक भाव है, एक कल्पना है, एक चरित्र है, एक आवाज़ है, एक कहानी है जिसका कोई अंत नही, जो इस पूरे पृथ्वी पर उन तमाम पैदा होने वाली चीजों की जड़ है।
माँ और बच्चों के बीच का रिश्ता दुनिया में किसी रिश्ते से कहीं ना कहीं आगे होता है जैसे मनुष्यों में देखा जा सकता है। मां और बच्चे का रिश्ता दुनिया के तमाम संबंधों से 9 महीने ज्यादा होता है इसलिए मां और बच्चे का संबंध किसी भी तुलना से कहीं ज्यादा है।
समस्त देशवासियों को मातृत्व दिवस(Mother's Day) की सहृदय हार्दिक शुभकामनाएं, आज देश के उन तमाम माताओं को हम नमन करते हैं, जो अपनी इच्छाओं को मारकर बच्चों और परिवार की इच्छाओं को प्राथमिकता देती हैं और इनके प्यार और स्नेह को शब्दों में बयां कर के भी हम इनके प्रेम का अंदाजा नहीं लगा सकते हैं।
मातृत्व दिवस पर मृदुल लता श्रीवास्तव की इस कविता के माध्यम से मां के महत्व को दर्शाया गया है इस कविता को पढ़ें और मां व पिता का आदर व सम्मान करें।
माँ तुम थी,
तो घर गुलजार था।
कहीं तुम्हारी बातें,
कहीं तुम्हारी हँसी,
कहीं गुस्सा और प्यार था।
माँ तुम थी,
तो हर त्योहार था।
दियों में प्रकाश था,
रंगों में खुमार था,
गुझियों में अनोखा स्वाद था।
माँ तुम थी,
तो घर आने का एक चाव था,
थके हुए मन का एक पड़ाव था,
जीवन में आगे बढ़ने का एक उत्साह था।
हमारे ऊपर तुम्हारा स्नेहिल हाथ था।
माँ तुम नहीं......
तो यह घर, घर नहीं,
सिर्फ एक मकान है।
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....... धन्यवाद