नागपंचमी भारतीय उपमहाद्वीप में मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है। यह पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। नागपंचमी का महत्व विशेषकर सर्प (नाग देव) पूजा के संदर्भ में है। भारतीय संस्कृति में सर्पों को देवताओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है और नागपंचमी के दिन उनकी पूजा की जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य सर्पों की रक्षा और आशीर्वाद प्राप्त करना होता है।
नागपंचमी के दिन लोग अपने घरों में सर्पमुद्रा बनाते हैं, जिसमें सर्पों के छाप को चावल की मांड या मिट्टी के पिण्ड में बनाया जाता है। इसके बाद पूजा के रूप में सर्पमुद्रा को पूजा स्थल पर रखकर पूजन किया जाता है। यह पूजा सर्प भगवान की कृपा प्राप्त करने का एक तरीका मानी जाती है।
इस त्योहार का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व होने के साथ-साथ यह एकता और सद्भावना की भावना को भी प्रकट करता है, क्योंकि सर्पों को भले ही मनुष्य के दुश्मन माना जाता हो, लेकिन इस दिन उन्हें सम्मान दिया जाता है।
नागपंचमी हिन्दू संस्कृति का एक अतिविशेष और रंगपूर्ण त्योहार है जो धार्मिक भावनाओं के साथ-साथ सामाजिक एकता की महत्वपूर्ण मिसाल प्रस्तुत करता है।
शुभ तिथि व मुहूर्त :
हिंदू पंचांग की गणना के अनुसार, सावन शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 21 अगस्त 2023 की मध्य रात्रि 12 बजकर 21 मिनट से शुरू हो जाएगी जो अगले दिन यानी 22 अगस्त की रात्रि 02 बजे समाप्त हो जाएगी। इस तरह से नाग पंचमी का त्योहार 21 अगस्त 2023, सोमवार के दिन है। नाग पंचमी पर भगवान शिव और नाग देवता की पूजा का विधान होता है। ऐसे में पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 53 मिनट से सुबह 08 बजकर 30 मिनट तक निर्धारित किया गया है।
नागपंचमी (अर्थात नाग देवता) से संबंधित धार्मिक श्लोक :
"सर्पाणां मेघानां च यः स्थाने स्थाने विचक्षणः।
स याति देवयानीं तं वै श्रेयसं प्रयान्ति च॥"
अर्थ: जो व्यक्ति स्थान-स्थान पर सर्पों और मेघों को समझने में परिपूर्ण है, वही व्यक्ति देवयानी मार्ग को प्राप्त करता है और श्रेयस्कर उन्नति को प्राप्त करता है।
जरा जरा जप उपासना, व्रत स्नान तप भागीरथी।
नागपंचमी पर्व नित्य योगी, सदा तुझको ध्यान धरती॥
अर्थ: इस श्लोक में कहा गया है कि नागपंचमी के दिन योगी और साधक अपने साधना के साथ-साथ जप, उपासना, व्रत, स्नान, और तप करते हैं, ताकि वे ध्यान और साधना में निरंतर रह सकें। यह दिन उनके लिए भगवान की ध्यान और साधना में विशेष महत्वपूर्ण होता है।
नागपंचम्यां विष्णुयां च दर्शनं कुर्यात् बिलेषु च।
विष्णुभक्तो विष्णुलोके महीयते तत्फलं लभेत्॥
अर्थ: नागपंचमी के दिन विष्णु भगवान की पूजा करने से व्यक्ति को विष्णुलोक में प्रवेश की प्राप्ति होती है और वहाँ उनकी अधिक पूजा करने पर उन्हें महत्वपूर्ण फल प्राप्त होता है।
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।।
या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिः देवैः सदा पूजिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा।।
नोट-यह श्लोक सरस्वती माता की पूजा और आराधना के उद्देश्य से प्रयुक्त होता है, विशेष रूप से नागपंचमी पर।
अर्थ: इस श्लोक में, देवी सरस्वती की महिमा का वर्णन किया गया है। उन्हें चंद्रमा के समान श्वेत पद्मासन पर बैठी हुई, मांझे में वीणा और वरदंड (बेलन) के साथ दिखाया गया है। वे ब्रह्मा, विष्णु, और शंकर आदि देवताओं द्वारा सदा पूजित होती हैं और वे सभी देवताएं उनकी आराधना करती हैं। यहाँ उन्हें निःशेषजाड़ापन से मुक्ति दिलाने वाली भगवती के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
आप सभी को नागपंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं।🙏🏻
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