"सदा न जे सुमिरत रहहिं, मिलि न कहहिं प्रिय बैन।
ते पै तिन्ह के जाहिं घर, जिन्ह के हिएँ न नैन।।"
भावार्थ - सदा प्रेम करने वाले के घर ही जाना चाहिए, जो न तो कभी याद करते हैं और न कभी मिलने पर मीठे वचन ही बोलते हैं, उनके घर वे ही जाते हैं जिनके हृदय की आंखें फूटी होती हैं अर्थात जो महान मूर्ख होते हैं। किसी के घर जाने से पहले बुद्धिमान लोग अच्छी तरह विचार करते हैं जो उन्हें सदैव स्मरण किया करता है, जिसकी सूचना अन्य लोगों से मिलती रहती है और मिलने पर मधुर शब्दों से स्वागत करता है। वे उन्हीं के घर जाते हैं।
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