UPSC Compensatory Attempt:
बदलते समय के साथ भारत के युवाओं की स्थिति भी बदलती जा रही है। जहाँ एक तरफ सरकार के दावे रोजगार को लेकर 'सीना चौड़ा' करते हुए नज़र आते हैं तो वहीं दूसरी तरफ युवाओं द्वारा सड़कों पर उतरकर बेरोजगारी के मुद्दे को बार-बार उठाना; कहीं ना कहीं उन सभी दावों पर सवाल खड़े करने जैसा है। खैर कोई नहीं, यह दावे हमें आगे भी नज़र आएंगे। लेकिन एक सवाल यह है कि रोजगार न पाने का कारण अगर कुछ और ही हो तब सरकार का रवैया कैसा होना चाहिए। देश में रोजगार और भर्ती प्रक्रिया को लेकर और भी कई सवाल खड़े होते रहे हैं।
मुझे उम्मीद है कि आपने कहीं न कहीं स्वामी विवेकानंद का यह कथन सुना ही होगा ''उठो, जागो और तब तक ना रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो।'' लेकिन यह कथन तब अर्थपूर्ण है जब आपका लक्ष्य निर्धारित हो। यहाँ तो जो बच्चे किसी विशेष प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। उन्हें अब तैयारी छोड़, पहले उसमें शामिल होने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
कोरोना महामारी ने जहाँ कईयों जिंदगियां छीनी तो वहीं युवाओं का रोजगार भी। इसका अन्दाज़ा लगाना भी बमुश्किल है। उसी दौरान कई छात्रों को इंटरनेट की समस्या, लॉकडाउन, परिवार के सदस्यों की हानि और मानसिक तनाव जैसे कई परेशानियों का सामना भी करना पड़ा। ऐसे में छात्रों पर गलत प्रभाव पड़ा। जिसके कारण कोरोना महामारी के दौरान UPSC द्वारा कराए गए एग्जाम में कई ऐसे उम्मीदवार शामिल नहीं हो सके, जिनका उस वर्ष अंतिम प्रयास या अंतिम उम्र सीमा था।
उम्मीदवार खोये हुए अवसर को दोबारा पाने के लिए लगातार लगभग दो वर्षों से धरना प्रदर्शन, अनशन व अन्य शांतिपूर्ण तरीको से अपनी मांग को रख रहें हैं। सरकार ने अभी तक उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया है। सरकार को चाहिए कि इनकी बातों को सुनकर, इसका समाधान दे।
बीते 30 जुलाई, 2023 को देश के कई राज्यों से आये उम्मीदवारों द्वारा जंतर-मंतर, दिल्ली पर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया गया। जिसमें उम्मीदवारों ने अतिरिक्त प्रयास की मांग फिर से की।
1. 2024 में सभी यूपीएससी सीएसई(UPSC CSE) उम्मीदवारों के लिए प्रतिपूरक प्रयास।
2. CSAT लेवल को मध्यम स्तर पर लाया जाए।
3. सामान्य अध्ययन पेपर को संशोधित किया जाना चाहिए और प्रारंभिक परीक्षा परिणाम के तुरंत बाद शीट उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
धन्यवाद!