आधुनिकता के इस दौड़ में जहां एक तरफ मानव कठिनाई से सरलतम जीवन की ओर बढ़ रहा है, तो वहीं दूसरी तरफ विज्ञान ने इसे नया रूप देने की कोशिश किया है।
कौन जानता था कि कभी दादी की कहानियों में मामा का दर्जा प्राप्त चंद्रमा तक भी विज्ञान पहुंचने की बात को सिद्ध करेगा। खैर कोई नही, विज्ञान ने जहां एक तरफ पुरानी आस्थाओं को चुनौती दिया है तो वहीं दूसरी तरफ नए वैज्ञानिक विश्वासों को जन्म भी दिया है। जो मानव विकास का आधार बनेगा। आइये जानते हैं... ISRO के मिशन चन्द्रयान की कहानी।
चन्द्रयान-1
◆ यह भारत का प्रथम चंद्र मिशन था।
◆ पहली बार इसकी घोषणा 15 अगस्त, 2003 को लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेई ने किया था।
◆ 22 अक्टूबर, 2008 को पहली बार ISRO द्वारा श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया।
◆ इसे PSLV-C11 के जरिए प्रक्षेपित किया गया।
◆ इसके साथ ही अमेरिका, रूस, चीन, यूरोप, जापान, के बाद भारत छठा ऐसा देश बना, जिसने चंद्रमा सतह के लिए अभियान संचालित किया।
◆ यह सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में 8 नवंबर, 2008 को पहुंचा।
◆ उपकरण Moon Impact Probe(MIP) ने भारतीय राष्ट्रीय झंडे 'तिरंगे' की चंद्रमा पर उपस्थिति दर्ज कराई।
◆ चंद्रयान-1 अपने साथ 11 आधुनिक उपकरणों को लेकर गया था, जिनमें से 5 ISRO के तथा अन्य विदेशी एजेंसियों के थे।
◆ Moon Impact Probe(MIP) द्वारा भेजे गए जानकारी ने ISRO का काफी मदद किया।
◆ उद्देश्य- खनिज एवं लवणों के बारे में जानकारी तथा ऊर्जा के विकल्पों की तलाश करना।
◆ अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने गुम हो चुके चंद्रयान-1 को 2017 में खोज निकाला और बताया कि चंद्रयान-1 अभी भी चंद्रमा की सतह से 200 किलोमीटर ऊपर चक्कर काट रहा है।
◆ चंद्रयान-1 से प्राप्त आँकड़ों का प्रयोग NASA ने किया, यह अध्ययन PNAS नामक जर्नल में प्रकाशित किया गया था।
चन्द्रयान-2
◆ यह भारत का दूसरा चंद्र मिशन था।
◆ 22 जुलाई, 2019 को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से चन्द्रयान-2 का सफल प्रक्षेपण किया गया।
◆ यह GSLV Mk-III-M1 द्वारा प्रक्षेपित किया गया।
◆ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरने वाला विश्व का प्रथम मिशन था।
◆ इसके बाद भारत चंद्रमा की सतह पर रॉकेट उतारने वाला चौथा देश बन जाता।
◆ चन्द्रयान-2 के प्रमुख अंग:
• ऑर्बिटर
• लैंडर विक्रम
• रोवर प्रज्ञान
◆ यह 13 उपकरणों से लैस कुल 3.8 टन द्रव्यमान वाला मिशन था।
◆ कुल खर्च 978 करोड़ रु० का था। जिसमें अंतरिक्षयान का खर्च 603 करोड़ रु० का तथा GSLV Mk-III-M1 375 करोड़ रु०।
◆ लांच से सॉफ्ट लैंडिंग तक पूरे अभियान का कार्यकाल लगभग 58 दिनों तक का निर्धारित किया गया था।
◆ 20 अगस्त, 2019 को चन्द्रयान-2 सफलतापूर्वक चंद्रमा की कक्षा में पहुंचा।
◆ 7 सितंबर, 2019 को लैंडर 'विक्रम' को चंद्रमा की सतह की ओर लाने की प्रक्रिया 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई तक सामान्य रही और योजना के अनुरूप देखी गई लेकिन बाद में लैंडर का संपर्क जमीनी स्टेशन से टूट गया।
◆ उद्देश्य- भारत का यह मिशन अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के विकास व वैश्विक तालमेल को बढ़ाने के साथ-साथ विश्व और मानवता को लाभ पहुंचाने तथा वैज्ञानिकों की भावी पीढ़ियों का मार्गदर्शन करने में सहायक; साथ ही चंद्रमा की सतह व उसके वातावरण से जुड़ी समस्त जानकारियों का अध्ययन करना।
चन्द्रयान-3
◆ यह भारत का तीसरा चंद्र मिशन है।
◆ यह चन्द्रयान-2 का अनुवर्ती मिशन है।
◆ 14 जुलाई, 2023 को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया।
◆इसे LVM3 M4 से प्रक्षेपित किया गया।
◆ इस मिशन का बजट लगभग 615 करोड़ रुपए है
◆ चन्द्रयान-3 में एक लैंडर, एक रोवर और एक प्रॉपल्सन मॉड्यूल लगा हुआ है। इसका कुल भार 3,900 किलोग्राम है।
◆ चन्द्रयान-2 के मुकाबले चन्द्रयान-3 ज्यादा तेजी से चांद की तरफ बढ़ेगा। चन्द्रयान-3 के लैंडर में 4 थ्रस्टर्स लगाए गए हैं।
◆ करीब 40 दिन के सफर के बाद चन्द्रयान-3 चांद की सतह तक पहुंच जाएगा।
◆ 615 करोड़ रुपये की लागत वाले चन्द्रयान-3 मिशन का लक्ष्य वही है, जो पिछले प्रोजेक्ट्स का था।
◆ चन्द्रयान-3 मिशन की सफलता भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक होगी। अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चौथा ऐसा देश बन जाएगा जिसने चांद पर सॉफ्ट-लैंडिंग की होगी।
◆उद्देश्य-
• चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और नरम लैंडिंग का प्रदर्शन करना।
• रोवर को चंद्रमा पर घूमते हुए प्रदर्शित करना।
• यथास्थान वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन करना।
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